Monday 7 September 2015

Gazal.

बहुत भूले न भूले हम मगर इक नाम तेरा
इश्क़ की वही साज़िश फिर वही अंजाम मेरा !
उठता है धुएं का गुबार साँसों से थम-थम के
कहीं सुलगता तो नहीं सीने में अब भी नाम तेरा !
है बन्दिगी की जरूरत तुझे तो ले सर झुकता है
वरना दिल है तेरे कदमों में औ लबों पे नाम तेरा !
जो जाता है तो जा पर न कर गिला यूँ सबसे
के बरसों साथ रहा फिर भी वो भूले नाम मेरा !
नज़र की बात कर दिल में उतर, ठहर के देख ज़रा
ये दौरे-खराबी है वरना न होता यूँ अंजाम मेरा !