क़ागज़ सींचा मैने !
Sunday 20 March 2016
मुनासिंब !
तुमको मुनासिब नहीं लगता साथ मेरा
हमको तुम बिन कुछ भी नहीं लगता है मुनासिब !
Saturday 19 March 2016
मगर..
धड़क के
दिल का कुछ कहना ..तो ठीक है ! मगर मचल के उसको सुनना.. हर बार अच्छा नहीं !
Tuesday 15 March 2016
सोचते हैं !
सोचते हैं हो जाएं
बदजुबां हम भी कभी ,
पै क्या करें,
सीखे थे जो कभी
वो अदब जाता नहीं !
Friday 11 March 2016
आँसू
तुम नज़र से यूँ गिरे ..जैसे के एक आँसू !
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