क़ागज़ सींचा मैने !
Tuesday, 14 June 2016
ऐ वक्त !
माना के मुनासिब है
तेरा यूँ चलते जाना
उस रोज़ कुछ देर
ठहर जाता तो ..
तेरा क्या जाता
कमबख्त ऐ वक़्त !
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