Sunday 14 August 2016

मुझको !

वक्त भी ना हुआ दवा मुझको
ज़िक्र उसका रुला गया मुझको !
साँसे बोझिल बहुत गुजरती हैं
न दो उम्र की और दुआ मुझको !
ज़िन्दगी ख़ाक न थी ख़ाक हुई
चमन क्यूँ न गुलज़ार हुआ मुझको !

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