ये कहता है मुझसे बादल
देखो ! मौसम बदल रहा है.
भोर है ओस से नहाई
शबनम मोती सा पल रहा है.
उत्तर से दक्षिण को चल रहा है
सूरज अपनी रंगत बदल रहा है.
आसमाँ की नीली गोद में
सुबह संतरी शाम सा मचल रहा है.
जेठ दुपहरी थक गयी है
कार्तिक जाड़ों में ढल रहा है.
गर्मियों की सांझ बीती
रुत पुराना चोला बदल रहा है.
काली घनेरी रातों में
चाँद तन्हा ठिठुर रहा है .
हाँ ! सच कहता है ये बादल
मौसम फिर से बदल रहा है l
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