यादे !
कौन भुले और भुलाये कौन..
गुजरे वक़्त को बुलाये कौन...
सुबहे है जाने क्यूँ हैं संजीदा इतनी
शाम से भी नजरे मिलाये कौन ?
तुम्हे याद करना किसी सज़ा से कम नही..
आज इन राहो से तुम्हे आवज लगाये कौन..
वक़्त खंजर,वक़्त मरहम यही अदा उसकी..
अब तुम्हारी बेगानगी तुम्हे बताये कौन ???
No comments:
Post a Comment