पूनम की रात में चाँद जब टहलता है आसमान में
शहद में डूबी एक आवाज पुकारती होगी नाम तुम्हारा !
बर्फ में भीगे पहाड़ों से टकरा के हवा जब गुजरती है
उदास आवाज में वादियों में गूंजता होगा नाम तुम्हारा !
चिनार जब झूमते हैं और गिरती हैं कुम्हलाई पत्तियां
मुरझाई आवाज में हर पत्ते से झरता होगा नाम तुम्हारा !
झील के नीले पानी में हीरे -सी चमकती है जब चांदनी
भीगी -भीगी इक आवाज में डूबता होगा नाम तुम्हारा !
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