Thursday 21 November 2013

<< इक आवाज और नाम तुम्हारा >>




पूनम  की रात में चाँद जब टहलता है आसमान में  
 
शहद में डूबी एक आवाज पुकारती होगी नाम तुम्हारा !              
 
बर्फ में भीगे पहाड़ों से टकरा के हवा जब गुजरती है
 
उदास आवाज में वादियों में गूंजता होगा नाम तुम्हारा ! 
 
चिनार जब झूमते हैं और गिरती हैं कुम्हलाई पत्तियां

 
मुरझाई आवाज में हर पत्ते से झरता होगा नाम तुम्हारा !
 
झील के नीले पानी में हीरे -सी चमकती है जब चांदनी  
 
भीगी -भीगी इक आवाज में डूबता होगा नाम तुम्हारा !         

 
 
 
 
 

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