बहुत जी करता है के
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घुली-घुली सी खुशबू
हो हवा में
सूरज समन्दर में
डूबने को हो
और मैं मीठी झील
किनारे तेरा इंतज़ार करूँ !
नींद ने करवट न ली
हो पलकें झुकी न हो
जागती आँखों से
ख्बाबों में मैं तेरा दीदार करूं !
रात न डूबी हो सुबह
न जागी हो
चाँद मद्धम-मद्धम
पिघल रहा हो बादलों में
ऐसे तारों की छाँव
में मैं तुझसे इकरार करूँ !
सोंधी-सोंधी ,थोड़ी शबनम में भीगी हुई
गुलाब की पंखुड़ी सी
तुम आओ
और फिर मैं तुम्हें जी भर के प्यार करूं !
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