कुछ नाजुक नफीस रास्ते
दिलों के अफ़साने में मिले
राह-राह फूल खिले हुए
मौसम भी खुशनुमा बड़ा
मंजिलों का पता न था ..
और कारवां भी अजीब था
बस दो लोगों की भीड़ थी
और उन्ही का साथ था
उनकी नजर में वो ही थे
पर नजर तो कई और भी थी
फिर न जाने कौन सी नजर पड़ी
जो नजर लगा गई ..
मौसम का मिजाज़ बदल गया
सारे सुर्ख गुलाब जर्द हुए
मंजिले तो पहले ही लापता थी..
फिर .. साथ भी छूट गया
न कारवां रहा .. न रास्ते
बस अफ़साने सुने..अफ़साने कहे
!
No comments:
Post a Comment