जिन्दगी खुशनुमा सफ़र तलाश
करती है..
काली रातों के आगे सहर तलाश करती
है...
कोई मुफलिसी से गुजर न जाए कहीं...
रोटी के चंद टुकड़े तलाश करती है..
जब टपकता है छप्पर किसी गरीब का..
उनके लिए महफूज छत तलाश करती है..
जब अजान देता है कोई मस्जिद में..
वहां अपना खुदा तलाश करती है...
बहुत चेहरे दिए हैं जिन्दगी ने बस
एक नजर में वफ़ा तलाश करती है.
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