Thursday 12 September 2013

मेरे सारे मौसम तुमसे हैं !


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मेरे सारे मौसम तुमसे हैं..
तुम हो तो..आसमान में बादल आते हैं..
बारिशें मन भिगो जाती हैं... ..हवाएं झूम के चलती हैं...
जुल्फ उलझ के गालों को चूम जाती हैं.
इन्द्रधनुष सारे रंग बिखेरता है मुझपे.
मेरे सारे मौसम तुमसे है...
तुम आते हो तो जाड़ो में..
तुम्हारी गर्माहट याद दिलाने
गुनगुनी धूप आती है छत पे..
रात अलाव में सुलगते हैं दोनों के मन.
मेरे सारे मौसम तुमसे है..
तुम आते हो तो आता है..
गर्मियों का अलसाया मौसम...
भोर गौरैया जगा जाती है चहक के..
शाम पुरवाई लाती है तुम्हारी आवाज
रात तारों के शामियाने तले
जब मैं सो जाती हूँ अपनी चादर में लिपटी हुई.
तो आती है मेरे बदन से तुम्हारी खुशबु
मेरे सारे मौसम तुमसे हैं....
तुम हो जाते हो उदास तो ...सारे मौसम उदास..
मेरा घर..मेरा आँगन..मेरी छत उदास...
मेरा मन ..मेरा वजूद उदास...
क्यूंकि मेरे सारे मौसम तुमसे हैं.

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