Friday 20 September 2013

 
 
 
"रिश्ते"                                                                     
हों इतने सच्चे और पवित्र
जैसे माँ का अपने अजन्मे,
कोख में पलते बच्चे से !

एक कमल नाल पे पलता
हुआ रिश्ता" सब उसी से
हवा,पानी,जीवन और पोषण
पर सब स्वाभाविक और निश्चिन्त.

और एक रिश्ते को पोसती हुई
बिगड़ी शक्ल,बेहाल तबियत,बेडौल शरीर
के बावजूद खुश, खिलखिलाती
भविष्य के सपने सुनहरे तागों से
बुनते हुए रिश्ते !

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