मीठी फुहार सी जो तुम आ जाओ ..
तो जेठ की दोपहर भी सावन की रिमझिम हो..
पतझड़ भी बहारों सा गुनगुनाने लगे..
कड़कती ठण्ड भी बसंत का आगाज हो..
मीठी फुहार सी जो तुम आ जाओ ..
तो जिन्दगी की तपिश को राहत मिले ..
रिश्तों पे मेरा ऐतबार ठहरे..
मेरे बेचैन दिल को करार आ जाए..
मीठी फुहार सी जो तुम आ जाओ..
तो मेरी आँखों में कँवल सी खिलो..
मेरे होंठों पे गजल सी रहो..
मेरे चेहरे पे ख़ुशी सी छलको..
मीठी फुहार सी जो तुम आ जाओ....तो !
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